पटना, 9 सितंबर। मशहूर शायर और फिल्मी गीतकार इब्राहिम अश्क के पटना आगमन पर उनके साथ एक काव्य गोष्ठी का आयोजन एडुकोन, बोरिंग रोड, पटना में किया गया. कई शायरों और कवियों ने इस अवसर पर अपनी रचनाएं सुनाईं। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज जबकि संचालन सुप्रसिद्ध शायर संजय कुमार कुन्दन ने किया.
डॉ.शमा नास्सीन अपनी रचना सुनाई।
मुतमइन घर में न कोई महफूज है न बाहर में कोई
ऐसे बिगड़े हुए हालात से डर लगता है
मुझको बर्बाद किया तेरे हँसीं वादों ने
तिरी वादों की तिलिस्मात से डर लगता है
शायर व उपन्यासकार नीलांशु रंजन ने ऊर्दू ज़बाँ को अपनी रचना में ले आये।
कभी मेरी ख़ुशियों में वो शामिल थी / उर्दू ज़ुबाँ की तरह
जिसमें नज़ाकत है, नफ़ासत है / और है बेइंतिहा कशिश
जिसका हर लफ्ज़ / उस महबूबा की तरह है
जिसके रुख़सार पे बैठा तिल / खींचता है निगाहों को कहीं दूर से ही
प्रसिद्ध छायाकार व शायर ओसामा खान खुद और भीड़ के रिश्ते को लेकर चिंता जाहिर की
भीड़ तो हूँ
पर भीड़ से अलग भी हूँ
कुछ के लिए खास हूँ
खुद में खुद की तलाश हूँ
चर्चित शायर अविनाश अमन की रचना थी
निगाहें तो मेरी तुम्हीं पर रहेंगी
तुम्हीं अपना चेहरा नजर से हँटा लो
ये माना कि राहों में दुश्वारियाँ हैं
अगर आ न पाओ मुझे ही बुला लो
युवा कवि समीर परिमल का ने भी रचनाओं का पाठ किया
उसी कातिल का सीने में तेरे खंजर रहा होगा
जो छुपकर बहुत अहसास के अंदर रहा होगा
तेरी बुनियाद में शामिल कई मासूम चीखें हैं
इमारत बन रही होगी गो क्य मंजर रहा होगा
डॉ रामनाथ शोधार्थी जब से ईमान बेचकर आए तब से उन्हें अपने ज़िंदा होने का अहसास नहीं रहा है-
पत्थर कि देवता हूँ मुझे कुछ पता नहीं
तू ही बता कि क्या हूँ मुझे कुछ पता नहीं
लौटा हूँ जब से अपना मैं ईमान बेचकर
ज़िंदा हूँ या मरा हूँ मुझे कुछ पता नहीं
अपने अंदाज़े बयां के लिए मशहूर शायर संजय कुमार 'कुन्दन' ने कहा
वो तो एक बड़ा शायर है बहर में ग़ज़लें करता है
हम दिल से लिखनेवाले हैं सो हम ऐसे वैसे हैं
हेमन्त दास 'हिम' की कविता थी
पत्ते पत्ते फूल व खुशबू
प्यारा प्यारा हर लम्हा
नदी के बहते पानी पर
'हिम' ने लिख डाला किस्सा
वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज ने भी अपनी कविता का पाठ किया
ध्यान रखना होगा कि / कोई जाली आलोचक
कोई मायावी कवि / कोई गिरगिट रंगकर्मी
इंद्रजाल करनेवाला कोई कलाकार
हमारे इस बाघ को / चिड़ियाखाना न ले जाए
जनशब्द के इस आयोजन में अता आब्दी , मोईन गिरिडीहवी , विभूति कुमार ने भी अपनी कविताओं का पाठ किया। इस अवसर उर्दू के चर्चित कथाकार शौकत हयात भी मौजूद थे.
अंत में 'एडुकोन' के अमित कुमार ने आये हुए सभी कवि-कवयित्रियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। hi