गोदरगावां, बेगूसराय। 'प्रगतिशील लेखक संघ '( प्रलेस) बेगूसराय एवं 'नीलांबर' कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में विप्लवी पुस्तकालय गोदरगावां,बेगूसराय में 'गांधी की परिकल्पना का भारत' विषय पर परिचर्चा एवं कविता पाठ , नाटक व फ़िल्म आदि का शानदार आयोजन किया गया। मुक्तिबोध, नरेश सक्सेना, अष्टभुजा शुक्ल की कविताओं के कोलाज प्रस्तुत किये गए। प्रलेस के राष्ट्रीय महासचिव राजेंद्र राजन की अध्यक्षता में आयोजित इस परिचर्चा सत्र में जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय में राजनीतिशास्त्र के प्रो मणीन्द्र नाथ ठाकुर, दिल्ली विश्विद्यालय के प्रोफ़ेसर व राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज झा, रवींद्र भारती विश्विद्यालय कोलकाता के प्रो. हितेंद्र पटेल के अलावा कई स्थानीय नेताओं तनवीर हसन, उपेंद्र पासवान ने वर्तमान समय की गांधी की विचारधारा के महत्व को रेखांकित किया। इस सत्र का विषय था '' गांधी की परिकल्पना का भारत'। इस सत्र में सुधाकर पांडे की पुस्तक " भारतीय शिक्षा प्रणाली में मानवीय मूल्यों का सरंक्षण' का लोकार्पण भी किया गया।
दूसरे सत्र में वरिष्ठ कवि आलोकधन्वा की अध्यक्षता में कविता पाठ का आयोजन किया गया। इसमें पूनम सिंह, यतीश कुमार, आनंद गुप्ता,रश्मि भारद्वाज, ऋतेश पांडेय, अरमान आनंद सिंह ,परितोष कुमार पीयूष ,विजय शर्मा और प्रभा देवी ने अपनी कविताओं का पाठ किया। आलोकधन्वा ने अपनी मशहूर कविता 'भागी हुई लड़कियां' का पाठ किया। संचालन रश्मि भारद्वाज ने किया। अंतिम सत्र में ममता पांडेय द्वारा निर्देशित नाटक 'धुआँ-धुआँ रूह' नाटक का मंचन किया गया।इसमें विशाल पांडेय और ऋतेश पांडेय ने अभिनय किया। इसके अलावा 'नीलांबर' द्वारा तैयार कविता कोलाज की प्रस्तुति की गई, जिसमें ऋतेश पांडेय,स्मिता गोयल, ममता पांडेय,विजय शर्मा, पूनम सिंह, दीपक कुमार ठाकुर, विशाल पांडेय ने अष्टभुजा शुक्ल की कविताओं का कोलाज प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के अंत में चंदन पांडेय की कहानी 'जमीन अपनी तो थी' का दृश्य श्रव्य माध्यम से पाठ किया गया, जिस पर आधारित दिखाई गई लघु फिल्म का निर्देशन ऋतेश पांडेय ने किया। कार्यक्रम के संयोजन में मनोज झा की महत्वपूर्ण भूमिका रही। दिन भर चले इस आयोजन में विप्लवी पुस्तकालय के मनोरंजन विप्लवी, अगम कुमार, आनंद शर्मा आदि की प्रमुख भूमिका रही
'विप्लवी पुस्तकालय ' ने अपने महत्वपूर्ण कार्यों से देश भर में विशिष्ट पहचान बनाई है एवं इसने एक जन आंदोलन का रूप ले लिया है। गोदरगावां एक गांव है लेकिन आज यह बिहार सहित पूरे हिंदी क्षेत्र का केंद्र बनता जा रहा है। हिंदी प्रदेश के नामचीन बुद्धिजीवी यहां पधार चुके हैं । ऐसे लोगों में हैं नामवर सिंह, कमलेश्वर, हबीब तनवीर, कुलदीप नैयर, कमला प्रसाद, असगर अली इंजीनियर, विश्वनाथ त्रिपाठी, राजेश जोशी, जगमोहन सिंह, चौथीराम यादव आदि। 2008 में प्रलेस का राष्ट्रीय सम्मेलन यहां आयोजित हुआ जिसमें देश भर के ढाई सौ रचनाकार यहां इकट्ठा हुए थे।