वाराणसीः कवि केशव शरण के लिए कल खुशी का दोहरा मौका था. एक तो उनका जन्मदिन और दूसरे वरिष्ठ लेखक और ललित निबंधकार डॉ उमेश प्रसाद सिंह द्वारा उनकी चुनी हुई कविताओं के संग्रह 'क़दम-क़दम' का लोकार्पण और परिचर्चा गोष्ठी. वाराणसी के अशोक मिशन स्कूल में आयोजित इस कार्यक्रम में काशी के तमाम साहित्यप्रेमी, साहित्यकार और पत्रकार जुटे. प्रगतिशील ग्रामीण चेतना की त्रैमासिक पत्रिका 'गांव के लोग' के संपादक और सुप्रसिद्ध कथाकार रामजी यादव ने अतिथियों का स्वागत किया और अध्यक्ष तथा वक्ताओं को मंचासीन कराया. मंच संचालन अशोक मिशन के सर्वेसर्वा अशोक आनंद ने किया. वक्तागण रामवचन यादव ' सृजन' जो बीएचयू में हिंदी के शोध छात्र हैं, समाजसेवी डॉ लेनिन रघुवंशी, डॉ उमेश प्रसाद सिंह, बहुमुखी प्रतिभा के धनी कवि, नाटककार और 'मेरे घुटने तलक नहीं भीगे, जब समंदर को नाप कर देखा' जैसी पंक्तियां लिखने वाले शायर दानिश, कवि और दलित चिंतक- लेखक मूलचंद सोनकर, सिनेमा विशेषज्ञ और कवि-लेखक डॉ अनुपम ओझा , बीएचयू के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ बलिराज पाण्डेय और समारोह की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि और लेखक ज़वाहर लाल कौल 'व्यग्र' ने इस मौके पर काव्य संकलन और केशव शरण की रचना प्रक्रिया पर अपने अमूल्य और गंभीर विचार रखे.

वक्ताओं के उद्गार के पूर्व कवि केशव शरण ने अपने संग्रह 'क़दम-क़दममें शामिल कुछ कविताओं का पाठ भी किया. शोभना प्रधान ने धन्यवाद ज्ञापन किया. समारोह में डॉ सुमीता, डॉ प्रकाश उदय, गांधीवादी विचारक और लेखक प्रेमप्रकाश, भोजपुरी कवि हौसला चौबे और आइटीशिन अंशु शरण, शायर अलकबीर और डा. के एल सोनकर की आत्मीय उपस्थिति रही. इस संकलन से पहले भी केशव शरण की छंदमुक्त रचनाओं का संग्रह 'तालाब के पानी में लड़की', 'जिधर खुला व्योम होता है';  गजल संग्रह 'दर्द के खेत में' और हाइकु संग्रह 'कड़ी धूप में' प्रकाशित हो चुका है.