लखऩऊ: अगर आपके मन में यह धारणा है कि केवल फिल्मी सितारे ही लोकप्रियता की बुलंदियां छू सकते हैं, पूरी तरह गलत हैैं। संवादी का सिनेमाई सत्र 'सुनहले पर्दे का ख्वाब जब शुरू हुआ तो सभागार में पैर रखने की जगह नहीं बची। लोग सीढिय़ों तक पर काबिज थे। मंच पर थे बॉलीवुड के कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा। जिन सितारों को लोग पर्दे पर देखकर सपनीले जहान में खो जाते हैं, उन्हें कामयाबी की पहली सीढ़ी चढ़ाने वाले को सुनने स्वप्न सरीखा ही था। मुकेश भी इस मेहमाननवाजी से अभिभूत हो पूरे रौ में नजर आए। कास्टिंग की चुनौतियों से लेकर फिल्म जगत के वर्तमान परिदृश्य तक पर खुलकर बोले। साथ ही उत्तर प्रदेश की प्रतिभा को अवसर देने के लिए लखनऊ में ऑफिस खोलने की घोषणा भी की।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राजकुमार राव जैसे अभिनय के नगीनों को खोजने वाले मुकेश छाबड़ा से मंच संचालन कर रहे मनोज राजन त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश की प्रतिभा पर उनकी राय पूछी। मुकेश ने लगभग जोर देते हुए कहा कि यहां तो प्रतिभा की खान है। मुंबई से बाकायदा टीम आती है अच्छे अभिनेता खोजने। यही कारण है कि यहां अब ज्यादा फिल्में बनने लगी हैं।
मुकेश ने कहा कि इस वक्त एक्टर्स के लिए सबसे ज्यादा काम मौजूद है। अगर अब भी आपको काम नहीं मिल रहा है तो फिर अपने बारे में सोचने की जरूरत है। अगर आप घर से भागकर अभिनेता बनने गए हैं, तो फिर कामयाबी पाकर ही लौटिए। उन्होंने कहा कि दंगल के लिए 10 हजार ऑडिशन लिए, तब जाकर एक लड़की मिली। पहले अपना आकलन स्वयं करें। किसी के कहने भर से एक्टर बनने मुंबई मत चले जाइए।  मुकेश का मानना है कि फिल्मों में काम खोजने को स्ट्रगल कहना ठीक नहीं। किसी भी अन्य काम की तरह यह भी एक प्रोसेस है। अगर आप इसका नाम बदल दें, मसलन प्यार या लव रख दें तो देखिए आपके लिए काम आसान हो जाएगा। इस पर मनोज तपाक से बोले, और लव के लिए कुछ भी करेगा। सभागार ठहाकों से गूंज उठा…।
जब बेतकल्लुफ हो गए मुकेश
बारी थी दर्शकों के सवाल लेने की। एक युवक नवल किशोर ने पीड़ा बताई-जब भी मैं ऑडिशन देने जाता हूं तो लोग नवाज की कॉपी करने की बात कहकर नकार देते हैं। क्या करूं? मुकेश उसका आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उसके साथ बेतकल्लुफ हो उठे। कहा, मेरे को तो नहीं लगता कि तू नवाज की कॉपी है, फिर बेकार ज्ञान देने वालों की क्यों सुनता है। उन्हें सुनना बंद कर दो, सब ठीक रहेगा।
दीर्घा से एक सवाल आया कि यहां बनने वाली फिल्मों में लोकल कास्टिंग की जाती है, लेकिन उन लड़कों को पैसे नहीं मिलते, क्यों? इस पर मुकेश ने कहा कि फिल्ममेकर और लोकल अभिनेताओं के बीच की कड़ी को मजबूत करने की जरूरत है।
सबसे अहम बात मुकेश ने अंत के लिए बचाकर रखी थी। उन्होंने घोषणा की कि जल्द ही लखनऊ में अपना एक ऑफिस खोलेंगे, ताकि उत्तर प्रदेश की प्रतिभा को और ज्यादा मौके मिल सकें। कहा कि इसके लिए 15 दिनों से जगह तलाश रहा हूं। यह सुनकर वहां मौजूद युवाओं ने तालियों से उनका इस्तकबाल किया।

दीप चक्रवर्ती