वाराणसी: दुनिया में जब प्रलय आ जाएगा तब भी काशी टिकी रहेगी, क्योंकि वह महादेव शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है. ऐसी मान्यता से प्रभावित हो डीजल रेल कारखाना परिसर में स्थित राजकीय महिला महाविद्यालय में 'काशी एक शाश्वत नगर: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में' विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न हुई. इस संगोष्ठी के दौरान कई विषयों पर शोधपत्र भी पढ़े गए, जिनमें भाषा और साहित्य के सवालों पर विशद चर्चा हुई. मुख्य अतिथि के रूप में उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने कहा कि काशी की प्राचीनता व ऐतिहासिकता किसी परिचय का मोहताज नहीं है. यह शहर विश्व में अलग पहचान रखता है. षोडश महाजनपद में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली काशी न केवल काशीवासियों के लिए बल्कि भारतवासियों के लिए गौरव का विषय है. नव नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बैद्यनाथ लाभ ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि काशी को प्राचीन काल में शिक्षा एवं ज्ञान के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थान मिल चुका था. यही वजह है कि काशी न केवल हिंदुओं का पवित्र तीर्थ है, बल्कि सर्व धर्मसमभाव की नगरी भी है, जिसे बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों ने भी अपनी उपदेशस्थली के रूप में चुना है. उनका कहना था कि काशी देवतीर्थ, जलतीर्थ दोनों ही दृष्टि से विशिष्ट नगरी है. इस नगरी का काशी नाम स्वयं इसके ज्ञानप्रकाश स्वरूप को अभिव्यक्त करता है.

संगोष्ठी में 'काशी की पत्रकारिता में उर्दू अख़बारों का योगदान: एक ऐतिहासिक अध्ययन' नामक शोध-पत्र पर व्याख्यान भी हुआ. इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सदस्य डॉ. दीन बंधु पाण्डेय, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य एवं सचिव डॉ. रजनीश कुमार शुक्ल, उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा आयोग के अध्यक्ष डॉ. ईश्वर शरण विश्वकर्मा, नालन्दा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वैद्य नाथ लाभ और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, वाराणसी के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. विजय शंकर शुक्ल आदि शामिल हुए. संगोष्ठी संयोजक डॉ. रचना शर्मा ने बताया कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली तथा संस्कृति विभाग राजकीय महिला महाविद्यालय डीरेका के संयुक्त संयोजन में हुए इस कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने शिरकत की और अपने विचार रखे या शोधपत्र पढ़े. अतिथियों का स्वागत प्राचार्य डॉ. सुधा पांडेय ने किया. इस अवसर पर प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल, प्रो. मारुतिनंदन तिवारी, प्रो. उषारानी तिवारी, डॉ. शांति स्वरूप सिन्हा, प्रो. गंगाधर पांडेय, प्रो. सदाशिव आदि मौजूद रहे.