गिरिडीहः झारखंड के चर्चित कवि विनय सौरभ को तृतीय अग्रणी रचनाकार सम्मान से नवाजा जाएगा. अग्रणी पब्लिकेशन द्वारा दिया जाने वाला यह पुरस्कार झारखंड में काफी सम्मानित है और विनय सौरभ से पहले दो महत्त्वपूर्ण समकालीन रचनाकारों महुआ माझी और मधुश्री सेन सान्याल को दिया जा चुका है. विनय सौरभ के लिए यह सम्मान इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि उनका बचपन उसी इलाके में बीता है. अग्रणी रचनाकार सम्मान पाने की घोषणा के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने प्रशंसकों से खुशी का इजहार करते हुए लिखा कि पिताजी के एक तबादले के बाद हम गिरिडीह चले आए. यह 1977 था.हमारा दाख़िला एक सरकारी स्कूल में दूसरी ज़मात में करा दिया गया. सातवीं तक हम वहाँ रहे. उम्र का यह वही दौर था, जब हमने वहाँ अपने मुहल्ले में पूरी आज़ादी से खूब कंचे खेले. लट्टू घुमाया और जम कर पतंगबाजी की. खैर, कहानियाँ बहुत हैं. कुल जमा इतना कहना है कि यह शहर स्मृतियों में ऐसा रचा- बसा कि अभी तक की जीवन यात्रा में साथ चलता रहा है.
सूत्र सम्मान, कवि कन्हैया स्मृति सम्मान, राष्ट्रभाषा परिषद, राजभाषा पुरस्कार आदि से सम्मानित हो चुके विनय सौरभ का कहना है कि जहां मेरा बचपन बीता  उसी शहर से जब इस पुरस्कार की घोषणा हुई तो मन का भावुक हो जाना थोड़ा लाज़िमी था. थोड़ा संकोच भी कि मैंने कभी व्यवस्थित होकर और इतनी मात्रा में नहीं लिखा है कि मेरा मूल्यांकन इस रूप में हो. फिर भी यह हुआ तो इसकी खुशी है. यह पुरस्कार उन्हें फरवरी के पहले सप्ताह में एक भव्य समारोह के दौरान दिया जाएगा.