बेंगलुरू, बैंगलोर कविता महोत्सव का यह तीसरा साल था, जिसने लगभग पचास कलाकारों को मंच मुहैया कराया. फिल्मी हस्तियों से भरपूर इस समारोह में शबाना आजमी, विशाल भारद्वाज और कविता सेठ जैसे दिग्गज नामों के अलावा कविता, साहित्य, संगीत और कला के हर क्षेत्र से जुड़े लगभग पचास नए-पुराने कलाकार शामिल हुए. यों तो दर्शकों ने सभी कलाकारों साहित्यकारों को सराहा पर सबसे अधिक तालियां बटोरी उषा उत्थुप ने. लगभग 18 भारतीय और 8 विदेशी भाषाओं के साथ-साथ रोम में कैथोलिक ईसाइयों के धर्मगुरू पोप के समक्ष गीत प्रस्तुत करने वाली एकलौती भारतीय कलाकार उषा उत्थुप के 'वन टू चा चा चा' सत्र में सबसे अधिक भीड़ जुटी.  

संदीप भूतोरिया के साथ अपनी बातचीत में उषा उत्थुप ने बतौर गायक अपनी कामयाबी को अद्भुत बताते हुए कहा कि यहां तक आने के लिए उन्होंने कम संघर्ष नहीं किया. एक वह भी समय था जब उनको अपनी इसी आवाज के चलते नकार दिया गया था. पर इस इनकार से उन्हें अपनी सीमाओं और ताकत दोनों का भान हुआ. उनका कहना था कि, मुझे इस बात पर फख्र है कि मैं नाइट क्लब सिंगर हूं. उन्होंने देवानंद से अपनी मुलाकात और अपनी पड़ोसन जमीला से जुड़े कई किस्से भी सुनाए.

कविता महोत्सव के एक सत्र में इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने युवाओं को साहित्य, कला और संगीत में रुचि रखने का आह्वान किया. शास्त्रीय गायिका अमरेंद्र धनेश्वर ने भक्ति संगीत से दर्शकों का मन मोहा तो तिब्बत के कवि भुचुंग दी सोनम की कविता में चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जे का दर्द साफ दिखा. कुल मिलाकर कर्नाटक के साहित्य प्रेमियों के लिए 4 और 5 अगस्त साहित्य से डूबे रहने के लिए एक उपयुक्त मौका था.