भोपालः मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी में भारत भवन की 40वीं वर्षगांठ समारोह के अवसर पर कलाकारों ने नर्मदा की जीवन गाथा को जीवंत किया. मंच पर सवा घंटे की प्रस्तुति में प्रकाश संयोजन और कथक नृत्य शैली में आंगिक अभिनय के माध्यम से जो शुरुआत हुई तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे. प्रकाश के माध्यम से शिव तांडव, नदी की लहर और आग का कुंड दिखाया गया, जहां मां नर्मदा ने आत्मदाह किया था. दर्शकों के लिए यह अनूठा अनुभव था. स्थानीय अंतरंग सभागार में कार्तिक कला अकादमी इंदौर के कलाकारों ने नृत्य नाटिका 'अमृतस्य नर्मदा' की प्रस्तुति दी. डॉ सुचित्रा हरमलकर के निर्देशन में हुई इस प्रस्तुति का लेखन अंजना चितले ने किया था, जबकि संगीत गुंदेचा बंधुओं का रहा. शहर में इस शानदार नृत्य नाटिका का मंचन तीन–चार बार हो चुका है, लेकिन भारत भवन में इसकी पहली प्रस्तुति थी. प्रकाश संयोजन कमल जैन का रहा. नृत्य नाटिका में जल संरक्षण और नदियों के महत्व बारे में भी बताया गया. प्रस्तुति में डॉ सुचित्रा हरमलकर के साथ उनकी 15 शिष्याएं नजर आईं.
मंच पर जीवनदायिनी मां नर्मदा की कहानी सूत्रधार के माध्यम से सुनाई जाती है. सूत्रधार बताता है कि नर्मदा नदी भगवान शिव के पसीने से 12 साल की कन्या के रूप में उत्पन्न हुईं थीं. फिर किस तरह से उनके जीवन में एक अद्भुत प्रेम आता है, और जब वह दिल की गहराइयों से उस प्रेम में डूबती हैं, तभी उनकी सहेली समान सेविका और प्रेमी के बीच भावनाओं का ऐसा मोड़ आता है कि उन्हें प्रेम में धोखा मिलता है. इसी वजह से वह उल्टी दिशा में बहने लगती हैं और सदैव के लिए कुंवारी बनकर रहती हैं. नाटिका में नर्मदा के उद्गम, नदी कहां–कहां प्रवाहित हुई, इन सबका बखूबी बखान किया गया. इस मौके पर बड़ी संख्या में मौजूद कला प्रेमियों ने प्रस्तुति को श्रद्धा के भाव से देखा. इस नृत्य नाटिका को दर्शकों की भरपूर सराहना मिली. इस प्रस्तुति के बाद सभागार देर तक दर्शकों की तालियों से गूंजता रहा.