भोपालः मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय में मुक्ताकाश मंच पर कठपुतली कला की विविध शैलियों पर एकाग्र 'राष्ट्रीय पुतुल समारोह' का आयोजन 16 से 20 अक्टूबर तक आयोजित हुआ. समारोह के पहले दिन 16 अक्टूबर को कोलकाता के सुदीप गुप्ता ने अपने साथी कलाकारों के साथ छड़ शैली में 'टेमिंग ऑफ द वाइल्ड' का मंचन किया.  यह प्रस्तुति संगीत की लय और धुनों पर आधारित रही. प्रस्तुति की शुरुआत में कलाकारों ने कठपुतलियों के माध्यम से मछलियों के एक परिवार को दिखाया. उसके बाद कलाकारों ने अपने कलात्मक कठपुतली संचालन कौशल से प्रकृति की सुंदरता को दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया. इसके बाद कलाकारों ने कठपुतली संचालन माध्यम से संगीत किस तरह प्रकृति में निहित है, को कठपुतलियों के माध्यम से मंच पर बिम्बित किया.
इसके बाद सुदीप गुप्ता ने कलाकारों साथी कलाकारों के साथ मनुष्य द्वारा प्रकृति के लगातार दोहन करने से होने वाले दुष्प्रभावों की ओर केंद्रित प्रस्तुति दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया. 17 अक्टूबर को बनारस को मिथिलेश दुबे ने अपने साथी कलाकरों के साथ छड़ पुतली शैली में 'मोहन से महात्मा' का मंचन किया. 18 अक्टूबर को लखनऊ के प्रदीपनाथ त्रिपाठी ने साथी कलाकारों के साथ छड़ पुतली शैली में 'लवकुश एवं अलादीन' का मंचन किया. 19 अक्टूबर को मोहम्मद शमीम अपने साथी कलाकारों के साथ छड़ और धागा पुतली शैली में 'गुलीवर ट्रेवल एवं हमारा सर्कस'  और अंतिम दिन 20 अक्टूबर को उदयपुर के भारतीय लोक कला मंडल द्वारा धागा पुतली शैली में 'रामायण एवं काबुलीवाला' का मंचन होगा. यह सभी प्रस्तुतियां प्रतिदिन सायं 7 बजे से हुईं. इस दौरान 16 से 20 अक्टूबर तक प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से मध्यप्रदेश, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, असम, सिक्किम, बिहार और ओडिसी राज्यों के देशज व्यंजन और पारम्परिक वस्त्र मेला भी आयोजित हुआ.