कटिहारः हिंदी के साथ ही अन्य भारतीय भाषाओं और बोलियों को भी अब उनकी जगह मिलने लगी है. ऐसा ही एक आयोजन सुनित्या सदन कटिहार में हुआ, जब सदन के सभागार में अंगिका साहित्यकारों व सहयोगियों ने महेंद्र नारायण यादव  की अध्यक्षता में 'अंगिका महोत्सव' मनाया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि राजनेता तारकिशोर प्रसाद के साथ आयोजन निदेशक डॉ रमेश मोहन आत्मविश्वास, संयोजक अवध विहारी आचार्य, प्रमुख वक्ता सुधीर कुमार प्रोग्रामर, प्रदीप प्रभात, मतवाला आदि मौजूद थे.  सम्मान और उद्घाटन के बाद अवधविहार आचार्य द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया, जिसमें अंगिका शब्दों के प्रभाव पर बात हुई. अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के झारखंड के महासचिव प्रदीप प्रभात ने अंगिका साहित्य में बुजुर्ग साहित्यकारों डोमन साहू शमीर, सुमन सुरो, डॉ अम्बष्ट, डॉ तेजनारायण कुशवाहा, डॉ नरेश पांडेय चकोर, डॉ अमरेन्द्र आदि के योगदान पर प्रकाश डाला. प्रमुख वक्ता एवं अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच बिहार के प्रदेश महासचिव सुधीर कुमार प्रोग्रामर ने बताया कि अंगिका के आदि कवि सरहपाद और पंडित राहुल  सांकृत्यायन द्वारा 'अंगिका' नामकरण के बाद अंगिका गगनचुंबी भाषा की ओर बढ़ चली. अंग माधुरी, अंगप्रिया, अंग भारत जैसी अंगिका के कई पत्र-पत्रिकाएं आने लगीं. पिछले 15 वर्षों से कुंदन अमिताभ एक वेबसाइट के माध्यम से देश ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंगिका की कृतियां, कृतिकारों की सूची सहित दैनिक गतिविधि की रिपोर्टिंग पहुंचा रहे हैं.
राहुल शिवाय और डॉ अमरेन्द्र के सहयोग और प्रयास से कविता कोश में सैकड़ों साहित्यकारों की लगभग 75, 674 पृष्ठों में रचनाएं देखी और पढ़ी जा सकती हैं. बिहार सरकार ने अंगिका को सम्मान देते हुए अंगिका अकादमी का गठन किया, जबकि झारखंड सरकार ने अंगिका को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देकर अंगिका का मान बढ़ाया. आज साहित्य अकादमी दिल्ली, दूरदर्शन, पटना, आकाशवाणी भागलपुर लगातार अंगिका साहित्यकारों को तरजीह दे रहे हैं. तिलकामांझी भागलपुर से अंगिका में 200 से अधिक छात्र-छात्राओं ने एमए, 20 ने पीएचडी, 2 डी.लिट कर चुके हैं. दिल्ली सरकार ने भी अंगिका अकादमी गठित करने का आश्वासन दिया है. अखिल भारतीय अंगिका विकास मंच के अध्यक्ष और अंगिका भाषा के ध्वनि पर वैज्ञानिक अध्ययन करने वाले दूसरे डी. लिट डॉ. रमेश मोहन आत्मविश्वास ने अंगिका के ध्वनि पर वैज्ञानिक तर्क प्रस्तुत कर इसमें सुधार करने की बात कही. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में  कवि सम्मेलन का दौर चला जिसमें भगवान प्रलय, सुधीर कुमार प्रोग्रामर, त्रिलोकी नाथ दिवाकर, प्रीतम विश्वकर्मा कवियाठ, साथी सुरेश सूर्य, रंजना सिंह, सच्चिदानंद किरण, शैलेश प्रजापति शैल, महेंद्र निशाकर, फूलकुमार अकेला, सुधीर झा, डॉ. अवधविहारी आचार्य, श्रवण विहारी, अनिल कुमार, प्रभाष चंद्र मतवाला या अंशु श्री, ठाकुर राष्ट्रभूषण, दिनकर दीवाना, भोला कुमार, शमसाद जिया, कपिलेश्वर कपिल आदि दर्जनों कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाई. कार्यक्रम का संचालन सुधीर कुमार झा और फूलकुमार अकेला ने किया.