नई दिल्लीः वाणी प्रकाशन ने अंग्रेज़ी की किताबें भी छापनी शुरू कर दी हैं और इसके लिए वाणी बुक कंपनी नामक उपक्रम बनाया है. इस प्रकाशन की अंग्रेजी की पहली किताब डॉ. संजय कुमार की 'कटिहार टू कैनेडी: द रोड लेस ट्रैवेल्ड' बनी, जिसका लोकार्पण इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुआ. पुस्तक लोकार्पण के उपरांत एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसका विषय था, 'भारत में ज़मीनी विकास: नयी सहस्त्राबदी की कथा'. परिचर्चा में लेखक एवं राजनीतिज्ञ पवन कुमार वर्मा, रचनाकार एवं पटकथा लेखक अद्वैता काला, शिव नादर स्कूल की प्राचार्य शशि बनर्जी एवं जन समुदाय की प्रतिनिधि कारी-बेन ने भाग लिया. परिचर्चा का संचालन सौम्या कुलश्रेष्ठ ने किया. इस अवसर पर लेखक पवन कुमार वर्मा ने कहा यह किताब बहुत प्रेरक है और यह इसमें मौज़ूद साहस और प्रतिरोध के कारण है. यह किताब उस उम्मीद के बारे में है कि जब सारे रास्ते बंद हो जाएं तब भी आगे बढ़ा जा सकता है. यह किताब यह बताती है कि अवसर कोई जन्मसिद्ध अधिकार नहीं, इसे कोई भी अपने लिए निर्मित कर सकता है. बदलाव के लिए जुनून की ज़रूरत होती है. संगठन क्षमता हो ताकि विकास को ज़मीनी स्तर तक ले जाया जा सके. संजय कुमार के अंदर वह क्षमता है और वह इस किताब में नज़र आती है.
जन सामुदायिक प्रतिनिधि कारी बेन ने कहा कि 1999 से हम संजय जी के साथ काम कर रहें हैं. कई बहनें थी जो छोटे रोज़गार सिलाई कढ़ाई में लगी थी, संजय भाई साहब ने हमें स्वाबलंबी और जागरूक बनने का रास्ता दिखाया. परिवर्तन आता है पर उसे कोई बताने वाला चाहिए. शिव नाडर स्कूल की प्राचार्या शशि बनर्जी ने कहा कि सबसे बड़ा संसाधन अपने अंदर से आता है. अगर हम अर्जुन की तरह पैनी दृष्टि रखकर सोचें कि हम शिक्षा के क्षेत्र में क्या कर सकते हैं, तो हम कर सकते हैं. बदलाव ला सकते हैं. संसाधनों से दूरियां बनाता कौन है, बच्चे तो नहीं बनाते. हर बच्चे की सभी संसाधनों तक पहुंच होनी चाहिए. लेखिका और स्क्रीन राइटर अद्वैता काला ने कहा कि 'कटिहार टू कैनेडी' उन लाखों लोगों के जीवन में बदलाव लाने का एक सुन्दर प्रयास है जहां उम्मीद की रोशनी नहीं पहुंची है. बड़े बदलाव ऐसे छोटे छोटे प्रयासों द्वारा ही लाए जा सकते हैं. डॉ. संजय कुमार ने शिक्षा को ज़मीनी स्तर तक पहुंचाने के अपने प्रयासों के बारे में जानकारी दी और बताया कि इस किताब का उद्देश्य हाशिए पर पड़े लोगों के जीवन में बदलाव लाना है. अपनी मिट्टी से जो ज़ज़्बा उन्होंने पाया, उसे वही प्रतिदान देना है. शिक्षा का उजाला और उसकी अहमियत हर बच्चे के जीवन तक पहुंचे यही इस किताब का उद्देश्य है. समूह की निदेशक अदिति माहेश्वरी ने  किताब की रचना प्रक्रिया से दर्शकों को अवगत कराया. कार्यक्रम का संचालन रश्मि भारद्वाज ने किया.