कोलकाताः बंगाली के मशहूर कवि नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती नहीं रहे. वह 94 साल के थे, और इस उम्र तक आते-आते उन्होंने साहित्य जगत को अपने सृजन से इतना समृद्ध कर दिया था कि बंगाल और बंगला भाषा से इतर दुनिया भर के साहित्य प्रेमी उनके लिए दुखी हैं. बंगाल सरकार ने बकायदा तोप की सलामी के साथ उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था की. अविभाजित बंगाल के फरीदपुर में 1924 में जन्मे चक्रवर्ती ने आधुनिक बंगाली साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर थे. हालांकि उनका पहला काव्य संकलन 'नील निर्जन' 1954 में उस समय प्रकाशित हुआ जब वह 30 साल के थे. सामाजिक ताने-बाने का मखौल उड़ाने वाले कविता संकलन 'उलंगा राजा' के लिए उन्हें 1974 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. साल 2016 में उन्हें साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप से भी सम्मानित किया गया था.
बंगला साहित्य के विख्यात साहित्यकार नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती ने अपने जीवन काल में भरपूर रचनाकर्म किया और हर विषय पर कलम चलाई. उन्होंने 47 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिसमें बाल साहित्य की अधिकता थी. उपन्यास और विभिन्न मुद्दों पर आलेख समूचे जीवन लिखते रहे. नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती के निधन पर पश्चिम बंगाल सहित समूचे देश के साहित्य जगत में शोक छा गया. मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी, शिक्षा मंत्री पार्थ चैटर्जी ने इस दिग्गज कवि के निधन पर शोक व्यक्त कर श्रद्धांजलि दी है. कवि सुबोध सरकार, शिरशेंदु मुखोपाध्याय, नवनीता देव सेन और कवि शंखा घोष ने भी शोक व्यक्त करते हुए उनके निधन से एक 'शून्य पैदा' होने की बात कही है. जागरण हिंदी की ओर से भी इस अद्भुत कवि को श्रद्धांजलि.