नई दिल्लीः अवतार एनक्लेव पश्चिम विहार में समाज सारथी एवं भारतीय विकास समिति के द्वारा एक सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता जाने-माने गीतकार डॉ जय सिंह आर्य ने की. इस काव्य गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की चरणजीत सिंह ने, तो संचालन का जिम्मा संभाला युवा कवि गोपाल गुप्ता गोपाल ने. युवा गजलकार राम श्याम हशीन के संयोजन में जिन कवियों ने सरस काव्य पाठ किया, उनमें प्रमुख रहे शकील बरेलवी, मेहंदी हसन मंसूरी, रश्मि पहली किरण, आकांक्षा, रंजाय रोकी, हिमांशु, दिवाकर, रोहित सोनी, भारती शर्मा, पूजा, कृष्णानंद तिवारी, सतीश दीक्षित, इब्राहिम अल्वी, वसीम जहांगीरबादी, डॉक्टर प्रेम लाल, भूमि, दिलीप चौरसिया,अशरफ दिल्ली एवं दिलदार देहलवी.
सभी कवियों के बाद अध्यक्ष डॉ जय सिंह आर्य ने अपने गीतों से समां बांधा. उन्होंने अपने दोहे में दिल्ली में हुए भयंकर अग्निकांड की व्यथा कुछ इस प्रकार कही-
शब्द-शब्द रोने लगे, श्वास-श्वास है मौन
ऐसा मंज़र देखकर धीर बंधावै कौन
बेटियों पर बढ़ते अत्याचार पर डॉ आर्य ने अपने इस गीत से सबको झकझोर कर रख दिया-
भैया रे भैया डोल रही है नैया
ले डूबेंगे नाव को नाविक बनजा आज खिवैया
देख समय की उलटफेर को रोए ताल सरोवर
कली कली की व्यथा कथा को कहते पनघट पोखर
सिसकी सिसकी बोल रही है दैइया रे दैइया
औरे मेरे भैया डोल रही है नैया….
संयोजक राम श्याम हसीन ने कार्यक्रम की सफलता पर सभी का आभार व्यक्त किया.