नई दिल्लीः साहित्य अकादमी ने अमेरिका में निवासरत प्रख्यात भौतिकविज्ञानी एवं लेखक मणिलाल भौमिक के दिल्ली दौरे के दौरान एक व्याख्यान का आयोजन किया, जिसका शीर्षक था 'मेरी किशोरावस्था में गांधी जी के साथ बिताए गए सप्ताह एवं उसका दीर्घकालीन दार्शनिक प्रभाव'. कार्यक्रम के प्रारंभ में साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने मणिलाल भौमिक का संक्षिप्त परिचय दिया. अंगवस्त्रम् एवं साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तकें भेंट करने के बाद उन पर केंद्रित एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया. के. श्रीनिवासराव ने स्वागत भाषण में कहा कि साहित्य अकादमी के लिए यह बेहद गर्व और उल्लास के क्षण हैं जब हम एक विश्वविख्यात वैज्ञानिक को अकादमी में अपने बीच पा रहे हैं. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 150वें जन्मशताब्दी वर्ष 2019 में साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित यह पहला बड़ा व्याख्यान है.

अपने व्याख्यान के आरंभ में मणिलाल भौमिक ने गाँधी जी के विशाल व्यक्तित्व की चर्चा की. उन्होंने गाँधी जी से संबंधित अपनी स्मृतियाँ श्रोताओं से साझा करते हुए कहा कि उस समय गाँधी को साक्षात् देख लेना भगवान को देख लेने के बराबर था. यह उनका सौभाग्य था कि मेदिनापुर के एक कैंप में उन्हें गाँधी जी के साथ एक सप्ताह बिताने का अवसर मिला. यह 1945 की बात है और उस समय बंगाल भीषण अकाल की त्रासदी झेल रहा था. मेरी उम्र उस समय चौदह वर्ष थी. मैंने गाँधी को बड़ी तन्मयता से चरखा चलाते हुए तो देखा ही बल्कि विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए भी देखा है. वे सारे किसान एक नदी के किनारे इकट्ठे हुए थे और उन तक आवाज़ पहुँचाने के लिए लाउडस्पीकर भी कम पड़ गए थे. लेकिन उनको सुनने के लिए इकट्ठे हुए सभी लोगों की आँखों में जो सम्मान गाँधी के लिए था उसको भूल पाना अब भी संभव नहीं है.
 
मणिलाल भौमिक ने अपनी जीवनयात्रा के विविध पड़ावों के बारे में बताया और जीवन की विभिन्न स्थितियों-परिस्थितियों पर गाँधी जी के प्रभावों को विस्तार से रेखांकित किया. उन्होंने नेल्सन मंडेला, अल्बर्ट आइंसटीन तथा मार्टिन लूथर किंग जैसे गाँधी जी के अनुयायियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि गाँधी जी ने भारत ही नहीं विश्व के अनेक देशों के लोगों को आदर्श जीवन-मूल्यों के साथ जीने और सत्य के लिए अडिग संघर्ष करने की प्रेरणा दी है. उन्होंने कहा कि तत्कालीन इंग्लैंड की अत्याधुनिक जीवनशैली वाला युवक गाँधी भारत की गरीब जनता के दुख-दर्द से इतना प्रभावित हुआ कि पूरे जीवन एक आम भारतीय जन बन कर जिया, और उनके लिए हर तरह की स्वतंत्रता हेतु संघर्ष किया. मणिलाल भौमिक ने भौतिकशास्त्र के विभिन्न पदों और अवधारणों के परिप्रेक्ष्य में गाँधी जी के दर्शन और सिद्धांतों पर भी प्रकाश डाला. इस व्याख्यान में अनेक साहित्यकार, साहित्यप्रेमी श्रोता उपस्थित थे.