नई दिल्लीः उपेन्द्रनाथ अश्क का जन्म 14 दिसंबर, 1910 को पंजाब के जालन्धर में हुआ था. कला स्नातक होने के बाद उन्होंने अध्यापन का कार्य शुरू किया तथा विधि की परीक्षा विशेष योग्यता के साथ पास की. पर वह एक अध्यापक व वकील के रूप में नहीं, एक लेखक के रूप में ही जाने गए. उपेंद्रनाथ अश्क ने अपना साहित्यिक जीवन उर्दू लेखक के रूप में शुरू किया था, किन्तु वह हिंदी लेखक के रूप में चर्चित रहे. कहते हैं कि 1932 में मुंशी प्रेमचन्द की सलाह पर उन्होंने हिंदी में लिखना शुरू किया. 1933 में उनका दूसरा कहानी संग्रह 'औरत की फितरत' प्रकाशित हुआ, जिसकी भूमिका खुद मुंशी प्रेमचन्द ने लिखी थी. उनका पहला काव्य संग्रह 'प्रातः प्रदीप' 1938 में प्रकाशित हुआ. उसके बाद वह फिल्मनगरी चले गए. मुंबई प्रवास में आपने फ़िल्मों की कहानियां, पटकथा, संवाद और गीत लिखे, तीन फ़िल्मों में काम भी किया किन्तु चमक-दमक वाली ज़िंदगी उन्हें रास नहीं आई.

उपेंद्रनाथ अश्क ने साहित्य की प्राय: सभी विधाओं में लिखा है, लेकिन उनकी मुख्य पहचान एक कथाकार के रूप में ही है. उनकी चर्चित रचनाओं में उपन्यास: गिरती दीवारें, शहर में घूमता आईना, गर्म राख, सितारों के खेल, कहानी संग्रह : सत्तर श्रेष्ठ कहानियां, जुदाई की शाम के गीत, काले साहब, पिंजरा; नाटक: लौटता हुआ दिन, बड़े खिलाडी, जय-पराजय, स्वर्ग की झलक, भँवर, एकांकी संग्रह : अन्धी गली, मुखड़ा बदल गया, चरवाहे, काव्य : एक दिन आकाश ने कहा, प्रातःप्रदीप, दीप जलेगा, बरगद की बेटी, उर्म्मियाँ, संस्मरण: मण्टो मेरा दुश्मन, फिल्मी जीवन की झलकियां, आलोचना: अन्वेषण की सहयात्रा, हिन्दी कहानी: एक अन्तरंग परिचय शामिल हैं. उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.