नई दिल्लीः रवींद्र कालिया स्मृति पुरस्कार 2018 इंदौर निवासी सुपरिचित उपन्यासकार सुनील चतुर्वेदी को प्रदान किया जायेगा. हिंदी साहित्य और साहित्यसेवियों के सम्मान के आग्रही निर्णायक मंडल के सदस्यों कथाकार अखिलेश, विजय राय और जितेंद्र श्रीवास्तव ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है. निर्णायक मंडल ने अपनी संस्तुति में कहा है, 'लगभग तीस वर्षों से संस्कृति के क्षेत्र में काम करते हुए सुनील चतुर्वेदी ने किसानों और वंचित समुदायों के हित मे कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं. उनके तीन उपन्यास महामाया, कालीचाट और ग़ाफ़िल प्रकाशित हैं. 'कालीचाट' पर बनी फिल्म ने पर्याप्त ख्याति अर्जित की है. उसे सर्वश्रेष्ठ कथा का पुरस्कार भी मिला है. यह स्वतंत्र भारत में किसान दुर्दशा का अत्यंत विश्वसनीय आख्यान है. सुनील चतुर्वेदी अपने उपन्यासों में बिना अतिरिक्त शोर किए अपने समय का सच बिल्कुल उसी प्रकार रखते हैं, जैसे कोई व्यक्ति किसी आत्मीय की हथेली पर अपनी हथेली रख दे. विज्ञान के विद्यार्थी रहे सुनील की भाषा में तार्किकता और सहृदयता का एक ऐसा संतुलन है, जो पाठक के चित्त को अपने जादू में ले लेता है. निर्णायक मंडल सुनील चतुर्वेदी को वर्ष 2018का रवींद्र कालिया स्मृति पुरस्कार प्रदान करते हुए प्रसन्नता और संतोष का अनुभव करता है.'
याद रहे कि जालंधर में 11 नवंबर, 1939 को जन्में कथाकार रवींद्र कालिया नौ साल छोटी पत्नी, 27 साल की उमर तक, जरा सी रोशनी, गरीबी हटाओ, गली कूंचे और चकैया नीम जैसी कथाओं के लिए खूब चर्चित रहे. इसके अलावा उनके कहानी संग्रह रवींद्र कालिया की कहानियां, दस प्रतिनिधि कहानियां, 21 श्रेष्ठ कहानियां के नाम से भी छपे. वह खुदा सही सलामत है, 17 रानाडे रोड और एबीसीडी जैसे उपन्यासों के साथ ही स्मृतियों की जन्मपत्री, कामरेड मोनालिसा, सृजन के सहयात्री और गालिब छूटी शराब जैसी बेहतरीन कृतियों का श्रेय भी रवींद्र कालिया को ही जाता है. उन्होंने कहानी, उपन्यास और संस्मरण लेखन के साथ-साथ व्यंग्यात्मक शैली में भी खूब लिखा, जिसमें नींद क्यों रात भर नहीं आती और राग मिलावट माल कौंस जैसी रचनाएं आज भी पसंद की जाती हैं. धर्मयुग, नया ज्ञानोदय, वागर्थ जैसी पत्रिकाओं के संपादन के अलावा वह भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक भी रहे. इसके अलावा उनके संपादन में गंगा जमुना, मोहन राकेश संचय और अमरकांत संचयन जैसी पुस्तकों का प्रकाशन भी शामिल है. कालिया उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा प्रेमचंद स्मृति सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान और लोहिया सम्मान के अलावा मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा पदुमलाल बक्शी सम्मान और पंजाब सरकार द्वारा शिरोमणि साहित्य सम्मान से भी सम्मानित किए गए थे.