उज्जैनः सूर्यनारायण व्यास, शिवमंगल सिंह सुमन और चंद्रकांत देवताले जैसे साहित्यकारों की नगरी उज्जैन में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के सौजन्य से लगा पुस्तक मेला अपने कार्यक्रमों के जरिये स्थानीय पाठकों में लोकप्रिय बनता जा रहा है. पाठकों का हुजूम पुस्तकों को देखने, अपनी पसंद के रचनाकारों से मिलने के लिए हर दिन मौजूद हो रहा है. एनबीटी के कार्यक्रम प्रभारी डॉ ललित किशोर मंडोरा के अनुसार न्यास अपने कार्यक्रमों में जहां स्थानीय रचनाकारों को आमन्त्रित कर रहा है, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान भी करा रहा है. पुस्तक मेले में आयोजित कविता पाठ में नीलोत्पल, राजेश सक्सेना, डॉ देवेंद्र जोशी, डॉ संदीप नाडकर्णी, डॉ राजेश रावल जैसे कवियों ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन श्रीराम दवे ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत राजेश रावल की सरस्वती वंदना से हुई.
देवेंद्र जोशी ने अपनी रचना में ओज का वर्णन किया तो हास्य-व्यंग्य की भी कई बानगियां प्रस्तुत की. गाँधी जी की 150 वी वर्षगांठ को केंद्र में रख कर चिट्ठी सुनाई, तो 'चूंकि मैं भारत में रहता हूं, इसलिए सच कहता हूं', पढ़ श्रोताओं का दिल जीत लिया. डॉ संदीप नाडकर्णी की कविताओं में प्रेम, व्यवस्था के प्रति आक्रोश और जनमानस की अभिव्यक्ति दिखी. उन्होंने पढ़ा, 'मैं भी लिख सकता हूं कविता, मौसम की और मौसिकी की जिंदगी को'. युवा कवि नीलोत्पल की कविता, 'मैं आरम्भ और अंत के बीच सुनता हूं, अपनी बात सुनाता हूं, अपनों के बीच में अपने को पाता हूं' और 'प्रेम की तलाश करता हूं, जैसे बादल बरसने को लालायित रहते हैं' की बात कह दिल जीता.  राजेश सक्सेना ने पढ़ा, 'हर किसी को नहीं आती धन जोड़ने की कला, हक्के बक्के रह जाते हैं, जब फुटपाथ पर भिखारियों से मिलते हैं, जोड़ा हुआ संचित पैसा!' श्रीराम दवे की रचनाएं भी शानदार थीं. कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि प्रमोद त्रिवेदी, मुकेश जोशी, पिलकेन्द्र अरोड़ा, अशोक भाटी, कवि आनंद, डॉ वंदना गुप्ता, प्रकाश चित्तोड़ा, डॉ शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ पुष्पा चौरसिया, डॉ शिव चौरसिया आदि मौजूद रहे.