नई दिल्लीः राजधानी की आधुनिक कला दीर्घा में 'अस्तित्‍व: प्रभाकर बरवे की महक' नामक एक प्रदर्शनी लगी है. नई दिल्‍ली में यह अपनी तरह की पहली प्रदर्शनी है, जिसमें चार अलग-अलग चरणों में कलात्‍मक कृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा. इसकी शुरुआत रूप तंत्र से हो चुकी है, जिसमें सर जे.जे. स्‍कूल ऑफ आर्ट से शुरू किए गएबरवे के कार्यों और उनके तांत्रिक रूप में बदलाव को दिखाया गया है. वीवर्स सर्विस सेंटर में उनके कार्यकाल के दौरान कलाकार द्वारा तैयार डिजाइन और वस्‍त्रों पर किए गए कार्यों को प्रदर्शित किया गया है, जो बरवे के डिजाइनों को तंत्र में और उसके बाद उनको स्‍वतंत्र रूप में बदलते हुए दर्शाते हैं. प्रदर्शनी में 1958 से 1977 तक के उनके कार्यों को शामिल किया गया है. अगले दो खंड रूप अर्थ और रूप तत्‍व हैं. रूप अर्थ में कलाकार के ज्ञान संबंधी बदलाव की झलक दिखाई देगी. इन पेंटिंगों में बरवे की 1972 से 1988 तक की सृजनात्‍मकता का मिश्रण है.

इस प्रदर्शनी के आकर्षण का केन्‍द्र रूप विचार खंड है, जिसमें बरवे की 52 डायरियों को प्रदर्शित किया गया है. इसमें डायरी के पन्‍ने, एनीमेटिड वीडियो और डायरियों की फिर से तैयार प्रतिकृतियां शामिल हैं. इस प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए  संस्‍कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने संग्रहालयों के महत्त्व की चर्चा की और कहा कि अपने इतिहास की झलक पाने के लिए संग्रहालयों की आवश्‍यकता है, ताकि हम इनसे सीख लेकर जीवन में आगे बढ़ सकें. पटेल ने कहा कि संग्रहालय हमारे पूर्वजों के सम्‍मान के प्रतीक के रूप में काम करते हैं. उन्‍होंने कहा कि प्रकृति और कला की ओर बढ़ने से हमारे दिमाग को शांति मिलती है और अहंकार खत्‍म होता है. इसके लिए हमें अपनी कला और गुरुओं का भी सम्‍मान करना चाहिए. यह प्रदर्शनी रविवार 28 जुलाई 2019 तक जनता के लिए खुली रहेगी. इसे मंगलवार से शुक्रवार तक सुबह 11.00 बजे से शाम 6.30 बजे तक और शनिवार और रविवार को सुबह 11.00 से रात 8.00 बजे तक देखा जा सकता है. सोमवार को दीर्घा बंद रहेगी.