भोपालः प्रणवीर तेजा मध्य प्रदेश और छ्त्तीसगढ़ के कई इलाकों में लोक देवता के रूप में पूजे जाते हैं. उनपर लोककथाओं की भरमार है. भादों माह में सुदी 10वीं पर इनका पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय सभागार में रंग प्रयोगों के प्रदर्शन की श्रृंखला 'अभिनयन' के तहत सत्यनारायण बारोड़ के निर्देशन में माच लोकनाट्य शैली में 'प्रणवीर तेजाजी' के नाम से उसी कथा का मंचन हुआ. इस नाट्य प्रस्तुति में कलाकारों ने तेजाजी के जन्म से लेकर उनके देह त्यागने तक की कथा को संग्रहालय सभागार में दर्शकों के समक्ष माच लोकनाट्य शैली में प्रस्तुत किया. ऐसी मान्यता है कि तेजाजी जाट वंश में जन्मे थे. इस नाट्य में कलाकारों ने अभिनय माध्यम से बताया कि किस तरह नाग देवता की आराधना के बाद उनका जन्म हुआ और फिर पता चला की तेजाजी को 20 वर्ष की आयु में दो माह सावन और भादों में जीवन संकट के योग हैं. मगर जब तेजाजी 20 वर्ष के हुए तो वह उन्हीं महीनों में अपनी पत्नी को लेने चले गए. रास्ते में नागराज ने रास्ता रोक दिया और तेजा जी से श्राप को पूर्ण करने को कहा.
लोक कथा के अनुसार तेजाजी ने पत्नी को दिए वचन को पूरा कर खुद लौट आने का वादा किया और अंततः अपना कार्य पूर्ण करने के उपरांत तेजाजी ने वचन का मान रखते हुए नाग देवता की बांबी पर आकर अपनी जीभ नाग देवता से डंसवाकर स्वयं देह का त्याग कर दिया. इस तरह लोक देवता तेजाजी अमर हो गये. इस नाट्य की समय सीमा लगभग 1 घंटा 30 मिनट रही. नाट्य प्रस्तुति के दौरान मंच पर मांगीलाल जी हरौड़, सत्यनारायण बारोड़, सुरेश बरौड़, गोपाल बारोड़, मनोज परमार, कैलाश चंद्र बारोड़, मांगीलाल, भजन सिंह, बलराम, सेवाराम मालवीय, श्याम दयाल और दयाराम गोयल आदि ने अपने नृत्याभिनय कौशल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. प्रस्तुति के दौरान हारमोनियम पर कन्यादास बैरागी और ढोलक पर सुरेश ने सहयोग किया. इस नाट्य प्रस्तुति के निर्देशक सत्यनारायण बारोड़ कई वर्षों से रंग कर्म के क्षेत्र से जुड़े हैं. सत्यनारायण बारोड़ कई प्रस्तुतियों का निर्देशन करने के साथ ही साथ अभिनय भी करते हैं.