नई दिल्लीः कोरोना से लड़ाई में देशवासियों और सरकार के साथ हिंदी के साहित्यकार भी शामिल हैं. कई ने इस पर रचनाएं लिखकर सोशल मीडिया पर शेयर भी किया है. लेखक कमलेश भट्ट 'कमल' भी उन्हीं में से एक हैं, जिनकी कोरोना ग़ज़ल सोशल मीडिया पर खूब चर्चित हो रही है. त्रिवेणी एक्सप्रेस, चिट्ठी आई है, नखलिस्तान, सह्याद्रि का संगीत, मंगल टीका, शंख सीपी रेत पानी, अजब गजब, तुर्रम और अमलतास जैसी पुस्तकों के लेखक कमलेश भट्ट 'कमल' की खासियत है कि वे ग़ज़ल, कहानी, साक्षात्कार, निबन्ध, समीक्षा एवं बाल-साहित्य के क्षेत्र में तो अपनी छाप छोड़ते ही रहे हैं, पिछले काफी समय से हाइकु के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं. तो पढ़िए, कमलेश भट्ट 'कमल' की कोरोना ग़ज़लः  

कोई रहमत कोई मैथ्यू कोई राकेश शामिल है,
कोरोना से लड़ाई में समूचा देश शामिल है.

हमीं क्यों, पीर-पैगम्बर हैं देवी-देवता भी सँग,
उधर अजमेर शामिल है इधर ऋषिकेश शामिल है.

सभी हिन्दू सभी मुस्लिम सभी सिख और ईसाई,
कि यानी जंग में पूरा ही यह परिवेश शामिल है.

सभी के पुण्य इसमें हैं सभी की भावनाएं हैं
लड़ाई में हरिक साधू हरिक दरवेश शामिल है.

इसे ताकत नहीं, तरकीब से ही जीत सकते हैं,
सभी हों दूर रहकर साथ, यह संदेश शामिल है.

लड़ाई का न कोई ओर ना ही छोर है कोई,
हमीं इसमें नहीं, दुनिया का इक-इक देश शामिल है.

हमीं पहले भी जीते हैं इसे भी जीत ही लेंगे
लड़ाई में करोड़ों का यही आवेश शामिल है.