लखीमपुर खीरीः स्थानीय गोला गोकर्णनाथ में मोहम्मदी रोड स्थित नई बाई पास के साईं मैरिज हाल में राधेश्याम कनौजिया व रीना कनौजिया की स्मृति में विशाल कवि सम्मेलन एवं होली मिलन समारोह का आयोजन हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत गीतकार कवि राजेन्द्र तिवारी कंटक की वाणी वन्दना से हुई. उसके बाद अवधी भाषा के कवि फारूक़ सरल ने 'जौन बनाइस मोबाइल को इंटरनेट चलाइस, राम करई बौराइ जो हमरे घर मा आग लगाइस' पढ़कर लोगों को सोचने व झूमने पर मजबूर कर दिया. शायर इक़बाल अकरम वारसी ने पढ़ा, 'न अफ़ज़ल बोलता है न कमतर बोलता है, ख़ुदा का हुक्म हो जाए तो पत्थर बोलता है.' हास्य कवि कमल पाण्डेय ने कोरोना को चेतावनी देते हुए यह कविता पढ़ी, 'कोरोना तू जो खेल खेल रहा है खेल नहीं पायेगा, सूरज के प्रचंड ताप को तू झेल नहीं पायेगा.' कार्यक्रम का संचालन कर रहे गीतकार रमेश पाण्डेय शिखर की कविता थी, 'यहां दर्दे दिल की दवा कौन देगा, बहुत भीड़ है रास्ता कौन देगा.'

गंगा जमुनी परिवेश के शायर सिराज अली सिराज ने पढ़ा,
'मोहब्बत भाईचारे को हमेशा साथ रखती है,

नदी गंगो जमना की जो हमारे बीच बहती है.
भुलाकर सब गिले शिकवे मिटाकर दूरियां सारी,
तुम्हें होली मुबारक हो हमारी ईद कहती है.'  
कार्यक्रम संयोजक मुनेन्द्र प्रताप ने पढ़ा,
'जिन्दगी कौन सुख दुःख सवारी नहीं,
वक़्त जागीर मेरी तुम्हारी नहीं
वक़्त ही बोलता वक़्त ही तोलता,
वक़्त मुट्ठी में मेरी तुम्हारी नहीं.
शायरा शिफ़ा नाज़ ने पढ़ा, 'मेरे नबी ने दुआ दी थी मेरी धरती को, करम है रब का मैं हिंदोस्तान वाली हूं.' कवि सुमित भारद्वाज की कविता के बोल थे, 'वतन के उन शहीदों को चलो हम सब नमन कर लें. कटा देते हैं सर अपना जो हिंदोस्तान की ख़ातिर.' इस कार्यक्रम में शिखा, अशोक कनौजिया, पंकज शुक्ला, आनंद वर्मा, जगदीप गौतम, रवि चौधरी, रामसेवक, नैमिष वर्मा, विशाल वर्मा, कपिल वर्मा, आकाश वर्मा, अरुण मिश्रा, डॉ आरएस वर्मा, नवीन वर्मा, बृजेंद्र वर्मा, मनोज गवाड़ा, दिलशाद खान, डॉक्टर सुमेधा पटेल, सुहानी पटेल, रजनीश गुप्ता, विजय माहेश्वरी, डीपी आर्य, अरुण मिश्रा, लाईक अहमद, जितेन्द्र कुमार कश्यप, अंकित वर्मा समेत नगर के साहित्यप्रेमी और युवा भारी संख्या में मौजूद थे. इस दौरान कई लोगों को सम्मानित भी किया गया.