वाराणसीः बेटियों को केंद्र में रखकर जितेंद्र श्रीवास्तव ढेरों कविताएं लिखीं, लेकिन उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि वह बेटी केंद्रित कविताओं का कोई संग्रह लाएंगे. उन्होंने बेटियों को लेकर जब भी कोई कविता लिखी वह उनके अलग-अलग छपने वाले संग्रह का हिस्सा बनती रहीं. इस बीच उनके शुभेच्छुओं में शामिल व आलोचकों की भीड़ में अलग से दिखने वाले, जाति के प्रश्न पर कबीर जैसी सघन और बौद्धिक उत्तेजना पैदा करने वाली पुस्तक लिखने वाले और प्रसाद कोश और निराला कोश जैसी पुस्तकें तैयार करने वाले डॉ. कमलेश वर्मा और उनकी पत्नी डॉ सुचिता वर्मा ने जितेंद्र की बेटियों पर आधारित कविताओं को लेकर एक आलोचनात्मक पुस्तक की योजना बनाई, और अंततः उन्होंने जितेंद्र श्रीवास्तव द्वारा 23 वर्षों की लंबी अवधि में लिखी गईं उनकी 'बेटी' केंद्रित 23 कविताओं का संग्रह 'बेटियां' नाम से तैयार कर दिया.

पिछले दिनों 'बेटियां' नामक इस पुस्तक का विमोचन वाराणसी के सेवापुरी में एक बालिका विद्यालय में हुआ. इस अवसर पर जितेंद्र श्रीवास्तव की कुछ कविताओं का पाठ भी हुआ, जिसमें 'पुकार' और 'सोनचिरई' को काफी सराहना मिली. इस मौके पर प्राचार्य यशोधरा शर्मा, डॉ सत्यनारायण, डॉ अर्चना गुप्ता, डॉ आशा, डॉ रवि प्रकाश गुप्ता,डॉ सर्वेश सिंह, डॉ सौरभ सिंह, डॉ घनश्याम कुशवाहा गीता शर्मा आदि उपस्थित थे. खास बात यह कि पुस्तक का लोकार्पण दस छात्राओं के हाथों संपन्न हुआ, जिन्हें यह पुस्तक मुफ्त प्रदान की गई. कवि जितेंद्र श्रीवास्तव इस मौके पर मौजूद नहीं थे, पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए उनका कहना था कि इस संकलन में शामिल कविताएं किसी संग्रह की योजना के तहत नहीं बल्कि बेटियों के साथ जीवन जीते हुए लिखी गईं हैं. अब जबकि इनका संग्रह तैयार हो प्रकाशित करा दिया गया है, तब मैं कहना चाहता हूं कि एक कवि के रूप में यह मेरे लिए उपलब्धि की तरह है.