नई दिल्लीः आज हास्य व्यंग्य और कविता वाचिक परंपरा के चर्चित चेहरे अशोक चक्रधर का जन्मदिन है. वह 8 फ़रवरी 1951 को उत्तर प्रदेश के खुर्जा में पैदा हुए थे. उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में टेलीफ़िल्म लेखक-निर्देशक, वृत्तचित्र लेखक निर्देशक, धारावाहिक लेखक, निर्देशक, अभिनेता, नाटककर्मी, कलाकार तथा मीडिया कर्मी के रूप में अपनी पहचान बनाई. वह जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंदी व पत्रकारिता विभाग में प्रोफेसर के पद से सेवा निवृत्त हुए और केन्द्रीय हिंदी संस्थान तथा हिन्दी अकादमी दिल्ली के उपाध्यक्ष पद को भी सुशोभित किया. अपनी साहित्यिक, अकादमिक गतिविधियों के लिए साल 2014 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित भी किया गया. उनके चर्चित कविता संग्रह में बूढ़े बच्चे, सो तो है, भोले भाले, तमाशा, चुटपुटकुले, हंसो और मर जाओ, देश धन्या पंच कन्या, ए जी सुनिए, इसलिये बौड़म जी इसलिये, खिड़कियाँ, बोल-गप्पे, जाने क्या टपके, चुनी चुनाई, सोची समझी, जो करे सो जोकर, मसलाराम आदि शामिल हैं.
अशोक चक्रधर ने दूरदर्शन के लिए नई सुबह की ओर, रेनबो फैण्टेसी, कृति में चमत्कृत, हिन्दी धागा प्रेम का, अपना उत्सव, भारत महोत्सव जैसे कार्यक्रम भी बनाए और धारावाहिक बोल बसंतो तथा छोटी सी आशा में आदि अभिनय भी किया और जीत गई छन्नो, मास्टर दीपचंद, झूमे बाला झूमे बाली, गुलाबड़ी, हाय मुसद्दी, तीन नजारे तथा बिटिया जैसी लघु फिल्मों के निर्माण के साथ ही विकास की लकीरे, पंगु गिरि लंघै, गोरा हट जा, इस ओर है छतेरा, जंगल की लय ताल, साड़ियों में लिपटी सदियाँ, साथ-साथ चलें, ये है चारा, ग्रामोदय, ज्ञान का उजाला, वत्सी नाव, बहू भी बेटी होती है, घैंघा पाडुराना, एड्रमौंटी टापू, छोटा नागपुर जल और थल, लोकोत्सव, नगर विकास आदि कार्यक्रमों, वृत्तचित्र आदि के लेखन, निर्माण से जुड़े रहे. वह अनेक कार्यक्रमों के प्रस्तोता भी रहे, जिनमें कहकहे, पर्दा उठता है, वंश, अलबेला सुरमेला, फुलझड़ी एक्सप्रेस, बात इसलिये बताई, पोल टॉप टैन, न्यूजी काउंट डाउन, चुनाव चालीसा, वाह वाह, चुनाव चकल्लस, चले आओ चक्रधर चमन में शामिल है. अशोक चक्रधर ने इतने बहुविध काम किए कि निश्चित रूप से सभी को यहां लिख पाना संभव नहीं. वह लगातार सक्रिय हैं. जागरण हिंदी और उनके शुभेच्छुओं की ओर से उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं.