नई दिल्ली: 'द गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स' के लिए 1997 में मैन बुकर पुरस्कार से सम्मानित अरुंधति रॉय के बहुचर्चित अंग्रेजी उपन्यास 'द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस' का हिंदी अनुवाद 'अपार खुशी का घराना' एवं उर्दू अनुवाद 'बेपनाह शादमानी की ममलिकत ' का लोकार्पण' इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुआ. इस उपन्यास का हिंदी में अनुवाद वरिष्ठ कवि और आलोचक मंगलेश डबराल और उर्दू अनुवाद अर्जुमंद आरा ने किया है. उपन्यास को दोनों भाषाओं में राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. लोकार्पण के बाद लेखिका अरुंधति रॉय, हिंदी अनुवादक मंगलेश डबराल और उर्दू अनुवादक अर्जुमंद आरा से वरिष्ठ लेखक संजीव कुमार एवं आशुतोष कुमार ने बातचीत की. कार्यक्रम की शुरूआत दास्तानगो दारेन शाहिदी द्वारा पुस्तक से मधुर अंशपाठ कर किया.

इस मौके पर लेखिका अरुंधति रॉय ने भी अपने अनुभव साझा किए. मंगलेश डबराल ने अनुवाद के अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस उपन्यास के शीर्षक के लिए काफी कश्मकश थी. मिनिस्ट्री शब्द के अनुवाद के लिये महकमा, मंत्रालय, सलतनत आदि  शब्दों  के बाद 'घराना' अरुंधति को पसंद आया. अनुवाद के दौरान आई कठिनाईयों के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, 'अंग्रेजी उपन्यास में अरुंधति ने कई नए शब्दों का उपयोग किया ह जिनका हिंदी शब्द मिलना बहुत मुश्किल था.' उर्दू अनुवादक अर्जुमंद आरा ने अनुवाद के समय के अपने अनुभवों के बारे में बताते हुए कहा, 'इस उपन्यास को अरुंधति द्वारा जिस तरह लिखा गया है और जिस तरह के शब्दों का चुनाव उपन्यास में किये गए थे, उनको ज्यों का त्यों, खासकर उर्दू में अनुवाद करना काफी कठिन था. मैंने, उर्दू में लिखते वक्त अपनी तरफ से पूरी वफादारी दिखाई है ताकि उपन्यास के किरदारों के भाव वैसे ही आयें जैसे मूल भाषा में हैं.' राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने इसे राजकमल प्रकाशन के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया क्योंकि 'बेपनाह शादमानी की ममलिकत' राजकमल की ओर से उर्दू की पहली प्रकाशित पुस्तक है.