नई दिल्लीः आशा पांडेय हिंदी की उम्दा रचनाकार हैं. कविता, हाइकू और कहानियों पर लगातार लिखती रहती हैं. उनका तीसरा कहानी संग्रहखारा पानीके नाम से छपकर आया है. बोधि प्रकाशन ने इस किताब को छापा, जिसका विमोचन चर्चित रचनाकार, आलोचक लेखक पुरषोत्तम अग्रवाल ने किया. इस मौके पर कवि और लेखक लीलाधर मंड़लोई, बनवारी, मृदला शुक्ला, महेंन्द्र मोदी, तरुण निशांत, रिफत शाहीन और प्रकाशक माया मृग उपस्ठित थे. अपने लेखन के बारे में आशा पांडेय का कहना है कि जब हृदय आर्द्र हुआ, कागज में कुछ पंक्तियों के रूप में बरस पड़ा और इस तरह अस्तित्व में जाती है एक कहानी. उनका कहना है कि बचपन से पढ़ी गयी किताबों ने ही तो मेरी संवेदनाओं को समृद्ध किया, जिससे वह दृष्टि उपजी जो अपने आसपास खनकती हंसी के पीछे की बेचारगी और मायूसी को सहज ही देख लेती है और लेखनी में उतार भी लेती है.   

आशा पांडेय की कहानियां हमारे आसपास घटित होती घटनाओं, क्षरित होती मानव संवेदनाओं का आख्यान हैं.खारा पानीकहानी संग्रह में कुल 12 कहानियां हैं. शीर्षक कहानी में सिर्फ बाल मजदूर की वेदना को बड़े प्रभावकारी ढंग से दर्शाया गया है अपितु पानी की समस्या को भी प्रकारांतर में व्यक्त किया गया है. कहानीयही एक राहगांव की उस मजबूर औरत की कहानी है जो स्वयं की जमीन जायदाद और परिवार को बचाने के लिये अपने ऊपर देवी आने का अभिनय करती है और धर्मभीरु समाज में अपने परिवार की रक्षा करती है. जंगल कहानी से पता चलता है कि वास्तविक जंगल कहां है.आशा पांडेय की कहानियां अपने समय में अपनी मुकम्मल उपस्थित दर्ज कराती हैं. खारा पानी में शामिल कहानियां ग्रामीण और शहरी जीवन की गहरी पड़ताल करती हैं तथा सामाजिक बदलाव को रेखांकित करती है. कहानियों में कथा प्रभावकारी ढंग से समाहित है.