नई दिल्ली: दिल्ली विश्व पुस्तक मेला में राजकमल प्रकाशन के जलसाघर पिछले दिनों जो खास साहित्यिक गतिविधियां हुईं उनमें से कई को पाठक लंबे समय तक भूलेंगे नहीं. इनमें लोकभारती प्रकाशन से प्रकाशित लेखक कुमार निर्मलेन्दु को दो किताबें  'प्रयागराज और कुम्भ' एवं 'मगधनामा' का लोकार्पण किया गया एवं लेखक से ओम निश्चल की बातचीत शामिल है. लेखिका अल्पना मिश्र की पुस्तक  'अस्थि फूल' का लोकार्पण हुआ और उन्होंने पाठकों के समक्ष उपन्यास से एक छोटा सा अंश पढ़ कर सुनाया. इस दिन के अन्य सत्रों में विभाजन के दशकों बाद की स्मृतियों का वृत्तांत 'रिनाला खुर्द' का लोकार्पण हुआ. यह लेखक ईशमधु तलवार का नया उपन्यास है. साथ ही लेखक अनघ शर्मा की किताब 'धूप की मुंडेर' एवं कैलाश वानखेडे की पुस्तक 'सुलगन' भी लोकार्पित हुईं . इससे पहले वाले दिन लेखक से मिलिए सत्र में लेखक वीरेन्द्र कुमार बरनवाल की पुस्तक 'मुस्लिम नवजागरण और अकबर इलाहाबादी का 'गांधीनामा' से दास्तानगो हिमांशु बाजपेयी द्वारा अंश पाठ किया गया. हिंदी में संभवतः यह पहली किताब है जिसमे अकबर इलाहाबादी के 'गांधीनामा' की पृष्ठिभूमि में मुस्लिम नवजागरण, उसके विविध पक्षों तथा उसमें योगदान देनेवाले प्रमुख उन्नायकों के अवदान के बारे में इतनी बारीक चर्चा की गयी है.

एक अन्य कार्यक्रम में 'मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ',नोबेल पुरस्कार से सम्मानित लेखिका ऐलिस मुनरो की कहानियों के हिंदी अनुवाद का लोकार्पण आलोचक वीरेन्द्र यादव, विकास कुमार झा, आनंद यशपाल एवं अशोक महेश्वरी द्वारा किया गया. ऐलिस मुनरो की कहानियों पर वक्ताओं ने अपने विचार भी रखे. इस अवसर पर कनाडा दूतावास से बर्नार्ड फ्रांसिस मौजूद थे,जिन्होंने कनाडा दूतावास का सन्देश पढ़ कर सुनाया. बहुचर्चित उपन्यास 'रेत-समाधि' के संदर्भ में गीतांजलि श्री से वीरेन्द्र यादव ने बातचीत. यह उपन्यास हर साधारण औरत में छिपी एक असाधारण स्त्री की महागाथा है. प्रसिद्ध इतिहासकार सुधीर चंद्र की पुस्तक 'गांधी: एक असम्भव सम्भावना' एवं गांधी के जीवन दर्शन एवं वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता विषय पर आलोचक वीरेन्द्र यादव ने उनसे बातचीत की. लेखक सुधीर चन्द्र ने कहा '1947 के बाद ही भारतीय समाज में बुराई पनपने लगी थी और आज वो बुराइयां विकराल रूप धारण कर चुकी हैं. गांधी अगर आज जिन्दा होते तो बहुत विचलित होते. लेखक हृषिकेश सुलभ की पुस्तक 'वसंत के हत्यारे' पर लेखक एवं ब्लॉगर प्रभात रंजन ने बातचीत की. इसी तरह लोकभारती प्रकाशन से आयी पुस्तक 'संपूर्ण कहानियाँ मार्कण्डेय' किताब का लोकार्पण तथा उनकी कहानियों पर वीरेन्द्र यादव से प्रभात रंजन की बातचीत हुई. लेखक विनय कुमार के कविता संग्रह 'यक्षिणी' एवं लेखिका अनामिका के कहानी संग्रह 'पानी को सब याद था' का लोकार्पण एवं कविता पाठ भी हुआ. यही नहीं शरद पगारे द्वारा उनकी पुस्तक 'गुलारा बेगम' का अंशपाठ भी हुआ.