रांगेय राघव का जन्म 17 जनवरी, 1923 में हुआ था. वह एक उम्दा उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता तथा रिपोर्ताज लेखक थे. हालांकि वह बहुत कम समय तक जिंदा रहे पर उनके लेखन की छाप आज भी साहित्य जगत में सुनाई देती है. वह मार्क्सवादी विचारों से प्रेरित उपन्यासकार थे और इस हद तक अपनी विचारधारा के प्रति अडिग कि भगवतीचरण वर्मा द्वारा रचित 'टेढ़े-मेढ़े रास्ते' के उत्तर में उन्होंने 'सीधा-सादा रास्ता' और 'आनंदमठ' के उत्तर में 'विषादमठ' लिखा. उनकी चर्चित किताबों में उपन्यास विषाद मठ, उबाल, राह न रुकी, बारी बरणा खोल दो, देवकी का बेटा, रत्ना की बात, भारती का सपूत, यशोधरा जीत गयी, घरौंदा, लोई का ताना, लखिमा की आँखें, मेरी भव बाधा हरो, कब तक पुकारूँ,पक्षी और आकाश, चीवर, राई और पर्वत, आख़िरी आवाज़, बन्दूक और बीन शामिल है. उन्होंने यात्रा वृत्तांत भी लिखे और अनुवाद भी किया. यात्रा वृतांत में महायात्रा गाथा ,अँधेरा रास्ता के दो खंड और रैन और चंदा के दो खंड शामिल हैं तो अनूदित कृतियों में जैसा तुम चाहो, हैमलेट, वेनिस का सौदागर, ऑथेलो, निष्फल प्रेम, परिवर्तन, तिल का ताड़, तूफान, मैकबेथ, जूलियस सीजर, बारहवीं रात खास है.

उनके द्वारा संकलित कहानियों में पंच परमेश्वर, अवसाद का छल, गूंगे, प्रवासी, घिसटता कम्बल, पेड़, नारी का विक्षोभ, काई, समुद्र के फेन, देवदासी, कठपुतले, तबेले का धुंधलका, जाति और पेशा, नई जिंदगी के लिए, ऊंट की करवट, बांबी और मंतर, गदल, कुत्ते की दुम और शैतान : नए टेक्नीक्स, जानवर-देवता, भय, अधूरी मूरत शामिल है. अचरज होता है कि जो व्यक्ति विचारों में मार्क्सवाद के करीब था उसने भारतीय पौराणिक और धार्मिक पात्रों पर इतनी अधिक कहानियां लिखीं. उन्होंने पौराणिक पात्रों पर जो कहानियां लिखीं उनमें दधीचि और पिप्पलाद, दुर्वासा, परशुराम, तनु, सारस्वत, देवल और जैगीषव्य, उपमन्यु, आरुणि (उद्दालक), उत्तंक, वेदव्यास, नचिकेता, मतंग, (एकत, द्वित और त्रित), ऋष्यश्रृंग, अगस्त्य, शुक्र, विश्वामित्र, शुकदेव, वक-दालभ्य, श्वेतकेतु, यवक्रीत, अष्टावक्र, और्व, कठ, दत्तात्रेय, गौतम-गौतमी, मार्कण्डेय, मुनि और शूद्र, धर्मारण्य, सुदर्शन, संन्यासी ब्राह्मण, शम्पाक, जैन तीर्थंकर, पुरुष तथा विश्व का निर्माण, मृत्यु की उत्पत्ति, गरुड़, अग्नि, तार्क्षी-पुत्र, लक्ष्मी, इंद्र, वृत्तासुर, त्रिपुरासुर, राजा की उत्पत्ति, चंद्रमा, पार्वती, शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ, मार्तंड (सूर्य), दक्ष प्रजापति, स्वरोविष, शनैश्चर, सुंद और उपसुंद, नारद और पर्वत, कायव्य, सोम, केसरी, दशाश्वमेधिक तीर्थ, सुधा तीर्थ, अहल्या तीर्थ, जाबालि-गोवर्धन तीर्थ, गरुड़ तीर्थ, श्वेत तीर्थ, शुक्र तीर्थ, इंद्र तीर्थ, पौलस्त्य तीर्थ, अग्नि तीर्थ, ऋणमोचन तीर्थ, पुरुरवस् तीर्थ, वृद्धा-संगम तीर्थ, इलातीर्थ, नागतीर्थ, मातृतीर्थ, शेषतीर्थ, दस प्रतिनिधि कहानियां, गदल तथा अन्य कहानियां, प्राचीन यूनानी कहानियां, प्राचीन ब्राह्मण कहानियां, प्राचीन ट्यूटन कहानियां, प्राचीन प्रेम और नीति की कहानियां, संसार की प्राचीन कहानियां शामिल हैं.