पटना। चर्चित कवि रमाशंकर यादव  विद्रोही के जयन्ती पर कालिदास रंगालय में काव्य पाठ का आयोजन किया गया। तहरीक, पटना की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम का शीर्षक था ' मैं तुम्हारा कवि हूँ"। इस मौके पर शायर संजय कुमार कुंदन ने  विद्रोही के सबन्ध में अपनी राय प्रकट करते हुए कहा " विद्रोही जी जनता के कवि थे। बोलने-सोचने और करने में उन्होंने कभी फर्क नहीं किया। 

'कोरस ' की समता राय ने रमाशंकर यादव विद्रोही का जीवन परिचय देते हुए कहारमाशंकर यादव की कविता जनपक्षधर रही और उनका सम्पूर्ण जीवन  संघर्ष और न्याय के लिए समर्पित रहा। उनका जन्म 3 दिसम्बर 1957 को उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर जिले अहिरे फ़िरोज़पुर गांव के किसान परिवार में हुआ था। बाल विवाह होने के बाद पत्नी शांति देवी को पढते देखकर लिखने पढ़ने की इच्छा हुई। अपने जिले में बीए तक पढ़ने के बाद जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय में हिंदी से एमए करने 1980 में दिल्ली चले गए। छात्र आंदोलन के सक्रिय कवि होने के कारण 1983 में उन्हें गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल में डाल दिया गया।वहां से छूटने के बाद विद्रोही जी ने बाहर न निकलने का संकल्प लिया और वहीं ताउम्र छात्रों के बीच कविता गढ़ते हुए यूजीसी के विरोध में चल रहे  छात्र आंदोलन के दौरान 8 दिसम्बर 2015 को उनकी मृत्यु हो गई।" समता राय ने इस अवसर पर  ' औरत' कविता का पाठ भी किया। 

रंगकर्मी संतोष झा ने " नूर मियां का सुरमा " कविता का पाठ किया और आने संबोधन में कहा " उनकी कविता 'मैं किसान हूँ  और आसमान में धान बो रहा हूँ' उनके  संघर्ष और स्मरण का बोध कराता है। विद्रोही न सिर्फ नाम के विद्रोही थे बल्कि अपने जीवन को भी उन्होंने विद्रोही के रूप में जिया। 

वहीं युवा कवि अंचित ने विद्रोही जी की मशहूर रचना 'जन-गण-मन' को पढ़ा तथा उनकी कविताओं पर अपनी बात रखी।