नई दिल्लीः साहित्य अकादमी ने कालजयी और मध्यकालीन साहित्य तथा गैर मान्याताप्राप्त भाषाओं में योगदान के लिए भी साल 2017 एवं 2018 के भाषा सम्मान प्रदान करने की घोषणा कर दी है. अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने राजधानी में आयोजित पत्रकारवार्ता के दौरान साल 2018 के अकादमी पुरस्कार विजेताओं की घोषणा के दौरान ही इन पुरस्कारों की भी घोषणा की. खास बात यह कि इस बार कोशली-संबलपुरी और पाइते जैसी भाषाओं को भी इस सम्मान मिला है. इस साल इस सम्मान से पुरस्कृत होने वाली शख्सियतों में साल 2017 में उत्तरी क्षेत्र से डा. योगेंद्र नाथ शर्मा 'अरुण', दक्षिणी क्षेत्र से जी. वेंकटसुबैय्या, पूर्वी क्षेत्र से 2018 के लिए डा. गगनेंद्र नाथ दाश और पश्चिमी क्षेत्र से डा. शैलजा बापट शामिल हैं. गै़र मान्याताप्राप्त भाषाओं में कोशली-संबलपुरी के लिए संयुक्त पुरस्कार डा. हलधर नाग व डा. प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी को, पाइते के लिए एच. नेङसाङ को और हरियाणवी में भी संयुक्त पुरस्कार हरिकृष्ण द्विवेदी व डा. शमीम शर्मा को दिए जाएंगे.

 

भाषा सम्मान विजेताओं का चयन हर क्षेत्र की तीन सदस्यीय सम्मानित जूरी ने किया. इसके विद्वान सदस्यों में प्रो. गोपीचंद नारंग, डाॅ. सुधीश पचौरी, प्रो. शारदा शर्मा, डा. सी. राजेंद्रन, प्रो. राभा शास्त्री, बसवराज कालिगुडी, प्रो. सुनील कुमार दत्त, डा. प्रदीप्त कुमार पंडा, प्रो. ज्योत्स्ना चट्टोपाध्याय, मोहन गेहाणी, प्रो. दिलीप धोंडे, भगवान दास पटेल, डा. महेंद्र कुमार मिश्र, डा. शुभेंदु मुंड, डा. नरेंद्र मिश्रप्रो. आर. एल. थन्नवाई, डा. एच. काम्खेन्थाङ, डा. तुआलचिन नैसियाल, संतराम देशवाल, पूरन चंद शर्मा एवं पूरन मल गौड़ शामिल थे. भाषा सम्मान के अंतर्गत पुरस्कार विजेता को 100000- रुपए नकद, एक उत्कीर्ण ताम्र फलक तथा प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है. अकादमी सचिव राव के मुताबिक यह सम्मान भविष्य में कोई तिथि निर्धारित कर एक विशेष समारोह में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष द्वारा प्रदान किया जाएगा.