आरा: बिहार में पटना के बाद चंद शहर ही हैं जहां साहित्यिक- सांस्कृतिक गतिविधियां होती रहती हैं। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, स्नातकोत्तर हिंदी-भोजपुरी विभागआरा के तत्वावधान में  'रोशनी की ओरकार्यक्रम के तहत रचना-पाठ सम्पन्न हुआ। वीर कुंवरसिंह विश्वविद्यालयआरा में  हिंदी-भोजपुरी , स्नातकोत्तर विभाग के विभागाध्यक्ष , डॉ (प्रो) नीरज सिंह की पहल से हिंदी विभाग में रचना पाठ का शानदार आयोजन हुआ जिसमें वी.के.एस.यू के हिंदी के पूर्व विभागाध्यक्षे डॉ रवीन्द्रनाथ राय, पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ अयोध्या प्रसाद उपाध्याय, हिंदी-भोजपुरी के कवि कथाकार जितेन्द्र कुमार, जन संस्कृति मंच के बिहार राज्य  सचिव डॉ सुधीर सुमन, कवि कथाकार डॉ सुमन कुमार सिंह, भोजपुरी के वरिष्ठ कथाकार कृष्ण कुमार, कवि चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर, उर्दू के शायर इश्तियाक अहमद दानिश, युवा कवि सतीश पाण्डेय, शोधार्थी आनंद ठाकुर, कवि कथाकार जनार्दन मिश्र और युवा चर्चित कवि अरुण शीतांश ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। आरंभ में मंच संचालन डॉ प्रो नीरज सिंह ने किया। बाद में उन्होंने मंच संचालन का दायित्व डॉ सुधीर सुमन को दे दिया।

गोष्ठी का आरंभ कवि नागार्जुन पर बने वृत्तचित्र से हुआ। इसे कवि कुबेरदत्त ने बनाया था। 5 नवंबर को नागार्जुन की पुण्यतिथि भी है। इस अवसर पर सुधीर सुमन ने स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रसिद्ध जनकवि रमता प्रसाद द्विवेदीरमता' (जन्मतिथि 30अक्टूबर ), जनवादी कवि कथाकार विजेन्द्र अनिल (पुण्यतिथि 3 नवंबर ) को भी याद किया गया जिनकी ।  इसके अलावा प्रसिद्ध भोजपुरी शायर उपन्यासकार पाण्डेय कपिल की पुण्यतिथि ( 2 नवम्बर)  है। दुर्गेन्द्र अकारी को भी याद किया गया। इन सब रचनाकारों की स्मृति में रचनाकारों ने रचना का पाठ किया।

जितेंद्र कुमार ने अपनी भोजपुरी कहानी 'सुमंगली' का पाठ किया तो डॉ नीरज सिंह और इस्तियाक अहमद ने ग़ज़लें सुनाईं । कृष्ण कुमार जी ने अपनी भोजपुरी कविता 'अल्ट्रासोनोग्राफी' से काफी प्रभावित किया।सुमन कुमार सिंह की कविता 'मुजफ्फरपुर नहीं जायेंगे' लड़कियों के बलात्कार के खिलाफ जबरदस्त कविता के रूप में सराही गयी। उसी तरह राकेश कुमार दिवाकर की कविता 'रात को रात कहना होता है' बेहद पसंद की गई।