नई दिल्लीः  दैनिक जागरण सान्निध्य की यह शाम बेहद खास थी. दीवाली से ठीक पहले वाले शनिवार को त्योहारों की व्यस्तता होने के बावजूद साहित्य अकादमी का अपेक्षाकृत बड़ा सभाकक्ष हिंदी   साहित्यप्रेमियों खचाखच भरा था. इसमें लेखक भी थेतो प्रकाशक भी. यों तो दैनिक जागरण सान्निध्य का यह आयोजन अपने निर्धारित स्वरूप के अनुरूप दो सत्रों में ही बंटा थापर चर्चाभागीदारी और सफलता के उद्देश्य से काफी खास था. इस बार के दोनों ही सत्र गंभीर पर सार्थक बातचीत के लिए समर्पित थे. देश और दुनिया के सर्वाधिक बिकने वाले अखबारों में शुमार दैनिक जागरण ने ‘हिंदी हैं हम‘ अभियान के तहत आयोजित अपने इस कार्यक्रम में बेस्ट सेलर सूची तो जारी की हीइसी विषय पर किताबों और शब्दों से जुड़ी दुनिया के दिग्गजों के बीच बहस भी करा दी. दैनिक जागरण बेस्ट सेलर सूची का अनावरण और परिचर्चा का विषय था, ‘हिंदी बेस्टसेलर का हिंदी जगत पर प्रभाव‘. भाग लेने वाले वक्ता थे राष्ट्रीय पुस्तक न्यासभारत  के अध्यक्ष प्रो बल्देवभाई शर्माइंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशीकेंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक डॉ. नंदकिशोर पांडे और और केंद्रीय हिंदी निदेशालय के पूर्व निदेशक डॉ. रवि प्रकाश टेकचंदानी. 
डॉ.  टेकचंदानी ने परिचर्चा की शुरुआत ही बेहद महत्त्वपूर्ण सवाल से की. उन्होंने पूछा कि हिंदी में बेस्ट सेलर की आवश्यकता ही क्या हैजिसका जवाब डॉ सच्चिदानंद जोशी ने अपनी मां और हिंदी की प्रसिद्ध लेखिका मालती जोशी के संस्मरण वाली कठोर हकीकत से दिया. उनका कहना था कि उनकी माता मालती जोशी की जब साठ किताबें प्रकाशित हो चुकी थींतब एक बार लंदन से आए उनके मामाजी ने पूछा कि तुमने जरूर फार्म हाउस खरीद लिया होगा. पर मां की आर्थिक स्थिति से वह हतप्रभ थे. उनका कहना था कि अंग्रेजी में 25-30 किताबें लिखने वाला लेख भी द्वीप तक खरीद सकता है. सच्चिदानंद जोशी का कहना था कि जागरण बेस्ट सेलर ने हिंदी में अस्मिताबोध पैदा किया है. हिंदी के पाठकों के साथ दिक्कत यह है कि वह खरीद कर पढ़ना ही नहीं चाहता है. जबकि बंगला साहित्य की समृद्धि का आलम यह है कि वहां शादीव्याह तक में भेंट में पुस्तक देने की परंपरा है. हिंदी के पाठक में अपनी मातृ भाषा को लेकर जिस दिन अस्मिता बोध जागृत हो जाएगावह खरीद कर पुस्तकें पढ़ने लगेगाहिंदी के लेखकों की स्थिति सुधर जाएगी.
राष्ट्रीय पुस्तक न्यासभारत के अध्यक्ष प्रो बल्देवभाई शर्मा ने कहा कि हिंदी को समृद्ध करने का जागरण का यह प्रयास बेहद सराहनीय और अद्भुत है. इससे हिंदी जगत में एक नये युग की शुरुआत हुई है. यदि यह काम दैनिक जागरण नहीं करता तो कौन करतापत्रकारिता जगत में जागरण की जो अहमियत है और उसने जो जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई है उसकीसराहना की जानी चाहिए. तुलसी दासकबीर दास और सूर दास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा का  लेखक स्वांतः सुखाय और समाजहित में लेखन करता है और उसकी किताबें घरघर में रखी और पूजी जाती हैं. अस्मिताबोध के सवाल से सहमति जताते हुए उनका कहना था कि जिस गांधी ने सत्य की ताकत से साम्राज्य को झुका दिया उसे लोग मजबूरी का नाम महात्मा गांधी या फिर तुमने ‘हिंदी करा दी‘, इस सोच को बदलना होगा. उन्होंने आंकड़ों के साथ यह दावा किया कि भारतीय भाषा की पुस्तकें खूब बिक रही हैं और जागरण संस्थान के इस प्रयास और सूची से यह मिथक भी टूट रहा है कि हिंदी में पुस्तकें बिकती नहीं हैं.
केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक डॉ. नंदकिशोर पांडे ने पूर्वोत्तर का जिक्र करते हुए कहा कि वहां किताबों की संस्कृति काफी समृद्ध है और सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हिंदी विभाग हैं. दैनिक जागरण बेस्ट सेलर सूची का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें प्रतिष्ठितनएपौराणिक से लेकर अटलकलामदीनदयालमोदी और तेंदुलकर से जुड़ी किताबों का शामिल होना यह भी संतोष देता है कि आज हिंदी के पाठकों की रूचि किधर है. कविता का इस सूचि में शामिल होना इसकी लोकप्रियता को बताता है. इस सूची में गुलजार और इंदौरी जैसे लोग भी हैं. उन्होंने सरकारी संस्थानों से आओ हिंदी सीखेंतकनीकी शब्दावलीसाहित्य अकादमी या गीता प्रेस की किताबों की बिक्री का भी जिक्र किया.
कार्यक्रम की शुरुआत में दैनिक जागरण के उपमहाप्रबंधक प्रशांत कश्यप ने वे मापदंड बताए जिनके आधार पर दैनिक जागरण  ने नील्सन को बेस्टसेलर की सूची तैयार करने का जिम्मा दिया है। दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर अनंत विजय ने साहित्य प्रेमियों को लखनऊ में 30 नवंबर से दिसंबर तक आयोजित होने वाले अभिव्यक्ति के उत्सव ‘संवादी‘ कार्यक्रम के सत्रों और वक्ताओं के बारे में जानकारी दी और यह भी स्पष्ट किया कि जागरण बेस्टसेलर केवल किताबों की तिमाही बिक्री के आंकड़ों पर आधारित हैयह किसी भी तरह से विशिष्टता का दावा नहीं करता.आगत अतिथियों को दैनिक जागरण के ब्रांड विभाग के सीजीएम विनोद श्रीवास्तव ने स्मृति चिन्ह प्रदान किया। धन्यवाद दैनिक जागरण से जुड़े तरुण गोस्वामी ने किया.