नई दिल्लीः हिंदी की यशस्वी लेखिका उषाकिरण खान को साल 2018 के भूपेंद्र देव कोसी सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. भूपेंद्र देव कोसी सम्मान समारोह के संयोजक शेखर सावंत ने यह सूचना दी है. मरहूम शिक्षाविद व गणेशदत्त महाविद्यालय बेगूसराय में अंग्रेजी साहित्य के मर्मज्ञ प्राध्यापक, हिंदी-मैथिली-बांग्ला साहित्य के प्रेमी, सहरसा निवासी डा. भूपेंद्र देव की स्मृति में सन 2015 में गठित गैर-राजनीतिक साहित्यिक संस्था 'डा भूपेंद्र देव फाउंडेशन' हर वर्ष एक ख्यातिलब्ध साहित्यकार, पत्रकार या कलाकार को समारोहपूर्वक 'भूपेंद्र देव कोसी सम्मान' से सम्मानित करता आ रहा है. इसी कड़ी में इस साल संस्था ने स्वविवेक से उषाकिरण खान का नाम प्रस्तावित किया है. उन्हें इसी साल 25 नवंबर दिन रविवार को बेगूसराय में होने वाले समारोह में यह सम्मान दिया जाएगा. इस सम्मान के तहत ग्यारह हजार रुपए नकद, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिह्न एवं शॉल देकर सम्मानित किया जाता है.

 

डॉ. उषा किरण खान हिंदी और मैथिली की जानी-मानी लेखिका हैं.  उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, लेख, बाल साहित्य के क्षेत्र में खास पहचान बनाई है. उनकी मुख्य कृतियों में हिंदी उपन्यास : पानी पर लकीर, फागुन के बाद, सीमांत कथा, रतनारे नयन और मैथिली उपन्यास अनुत्तरित प्रश्न, हसीना मंजिल, भामती, सिरजनहार शामिल हैं. हिंदी के कहानी संग्रह: गीली पॉक, कासवन, दूबजान, विवश विक्रमादित्य, जन्म अवधि, घर से घर तक तथा मैथिली में कॉचहि बॉस खास हैं. हिंदी में लिखे गए नाटकों में, कहाँ गए मेरे उगना, हीरा डोम तथा मैथिली में फागुन, एकसरि ठाढ़, मुसकौल बला खास तौर पर उल्लेखनीय हैं. हिंदी में लिखे गए बाल नाटक: डैडी बदल गए हैं, नानी की कहानी, सात भाई और चंपा, चिड़िया चुग गई खेत तथा मैथिली में, घंटी से बान्हल राजू, बिरड़ो आबिगेल तथा बाल उपन्यास : लड़ाकू जनमेजय खासे चर्चित रहे. उन्हें बिहार सरकार के राजभाषा विभाग के हिंदी सेवी सम्मान, महादेवी वर्मा सम्मान, दिनकर राष्ट्रीय पुरस्कार, साहित्य अकादेमी पुरस्कार, कुसुमांजली पुरस्कार, विद्या निवास मिश्र पुरस्कार के अलावा पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है.