वाराणसीः साहित्य और सृजन का लोक संगीत और देवी पूजा से बेहद पुराना नाता है. हिंदी में तो इसकी परंपरा इतनी समृद्ध है कि ईश्वर के सगुण और निर्गुण स्वरूपों को लेकर रची गई रचनाओं से पूरा एक युग भक्तिकाल के नाम से ही जाना जाता है. संभवत; इसीलिए नवरात्रि के अवसर पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय ने इस मौके को सुरों से जोड़ दिया और विश्वविद्यालय परिसर में नवरात्रि संगीत संयोजन का आयोजन किया. प्रोफेसर मंगला कपूर के एकल देवी गीत गायन से सजी इस संध्या की मुख्य अतिथि थीं फैकल्टी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स की पूर्व आचार्या प्रो वनमाला पर्वतक.

प्रोफेसर मंगला कपूर की स्थानीय लोकगीतों के सांगितिक संगति पर काफी पकड़ है. उन्होंने लोकरंग के कई देवी गीत प्रस्तुत किए. 'महारानी वरदानी कि धनि धनि विंध्याचल रानी ' जैसे गीतों से भक्ति के साथ ही सुर की गंगा से उपस्थित श्रोता देर तक सराबोर होते रहे. उनकी सभी प्रस्तुतियों को खूब सराहना मिली. उनके साथ तबले पर संगत की ललित कुमार ने.

हारमोनियम पर इंद्रदेव चौधरी और ढोलक पर थे रौशन जी. इस अवसर पर प्रोफेसर पुष्पा अग्रवाल, प्रोफेसर शशि अग्रवाल, प्रोफेसर सुमन जैन, प्रोफेसर रिफत जमाल, डॉ सीमा तिवारी, प्रोफेसर लयलीना भट्ट, प्रोफेसर ऋचा कुमार और प्रोफेसर वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित थीं. महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर चंद्रकला त्रिपाठी ने सभी का स्वागत किया.